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आओ बच्चो बाल दिवस की, सुनो पुरानी गाथा। भरा पड़ा इत

आओ बच्चो बाल दिवस की, सुनो पुरानी गाथा।
भरा पड़ा इतिहास हमारा, जगती है अभिलाषा।।
पथ भटके लोगों के मन में, ऐसा रोष जगाता हूँ।
चलो आज दो सूरमाओं की, तुमको कथा सुनाता हूँ।।
सिक्खों के हैं दसम गुरु, श्री गोविंद सिंह महाराज।
जिनके चार पुत्र साहिबजादे, थे सबके सरताज।।
नाम अजीतसिंह, जुझारसिंह, जोरावरसिंह प्यारे शेर।
सबसे छोटे फतेह सिंह, सब करते शत्रु को ढेर।।
किन्तु समय ने करवट बदली, मुगल उन्हें ले आये।
माता गुजरी के संग दोनों, छोटे हुए पराये।।
कहा गया था उन्हें आज ही, मजहब बदलो अपना।
वाहेगुरु जी की बोल के बोले, भूल जाओ सब सपना।।
मुगलों ने फरमान सुनाया, दीवार में चिनवा दो।
इससे क्रूर फरमान न कोई, इनको अवसर ना दो।।
दीवारों में मूर्छा आयी, उनके शीश उतारे।
इतना वहसीपन देखा, पर धर्म नहीं वे हारे।।
उनकी वीरगति पर सच्चा, बाल दिवस हो हमारा।
तब तो सच्चे अर्थों में, हो हिंदुस्तान ये प्यारा।।

©bhishma pratap singh #सच्चाबालदिवस#हिन्दी कविता#काव्य संकलन#भीष्म प्रताप सिंह#प्रेरक कहानियां 
#ChildrensDay#नवंबर क्रिएटर
आओ बच्चो बाल दिवस की, सुनो पुरानी गाथा।
भरा पड़ा इतिहास हमारा, जगती है अभिलाषा।।
पथ भटके लोगों के मन में, ऐसा रोष जगाता हूँ।
चलो आज दो सूरमाओं की, तुमको कथा सुनाता हूँ।।
सिक्खों के हैं दसम गुरु, श्री गोविंद सिंह महाराज।
जिनके चार पुत्र साहिबजादे, थे सबके सरताज।।
नाम अजीतसिंह, जुझारसिंह, जोरावरसिंह प्यारे शेर।
सबसे छोटे फतेह सिंह, सब करते शत्रु को ढेर।।
किन्तु समय ने करवट बदली, मुगल उन्हें ले आये।
माता गुजरी के संग दोनों, छोटे हुए पराये।।
कहा गया था उन्हें आज ही, मजहब बदलो अपना।
वाहेगुरु जी की बोल के बोले, भूल जाओ सब सपना।।
मुगलों ने फरमान सुनाया, दीवार में चिनवा दो।
इससे क्रूर फरमान न कोई, इनको अवसर ना दो।।
दीवारों में मूर्छा आयी, उनके शीश उतारे।
इतना वहसीपन देखा, पर धर्म नहीं वे हारे।।
उनकी वीरगति पर सच्चा, बाल दिवस हो हमारा।
तब तो सच्चे अर्थों में, हो हिंदुस्तान ये प्यारा।।

©bhishma pratap singh #सच्चाबालदिवस#हिन्दी कविता#काव्य संकलन#भीष्म प्रताप सिंह#प्रेरक कहानियां 
#ChildrensDay#नवंबर क्रिएटर