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बढ़ाये जो कदम मैंने अपने हक के लिए तो, बीच मे आ गए

बढ़ाये जो कदम मैंने अपने हक के लिए तो,
बीच मे आ गए सामाजिक दायरे बन दीवार,
बांध बेड़ियाँ पैरों में मुझे न आगे बढ़ने दिया,
दबा दी गई मेरी आवाज़ फिर मैं गई थी हार,
हर शख्स को समझा अपने जीवन का हिस्सा,
कभी न कद्र की मेरी हर बार कहा तू है बेकार,
हर रिश्ते को दिल से निभाया,न की शिकायत,
मात्र प्रजनन मशीन समझे,कहे न ये तेरा संसार,
न कभी अनदेखा करो न करो कभी तिरस्कार,
ये बढ़ाये कुल की रीत,यहीं हैं जीवन आधार।
 🎀 Challenge-403 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
बढ़ाये जो कदम मैंने अपने हक के लिए तो,
बीच मे आ गए सामाजिक दायरे बन दीवार,
बांध बेड़ियाँ पैरों में मुझे न आगे बढ़ने दिया,
दबा दी गई मेरी आवाज़ फिर मैं गई थी हार,
हर शख्स को समझा अपने जीवन का हिस्सा,
कभी न कद्र की मेरी हर बार कहा तू है बेकार,
हर रिश्ते को दिल से निभाया,न की शिकायत,
मात्र प्रजनन मशीन समझे,कहे न ये तेरा संसार,
न कभी अनदेखा करो न करो कभी तिरस्कार,
ये बढ़ाये कुल की रीत,यहीं हैं जीवन आधार।
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🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 

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