हर शक्स के हाथ में कटोरा है, जिसके पास जितना है.. थोड़ा है| सांस – सांस मुजरिम बनी है, मेरी हर सांस ने मुझे तोड़ा है| हर शक्स के हाथ में कटोरा है… हसरत ए ख़ुशी में भागता है वहशी, आदमी.. आदमी कहाँ है? घोड़ा है! हर शक्स के हाथ में कटोरा है… मुझसे मांग रहा है इकबाल ए जुर्म, मुंसिफ न मेरा हाथ मरोड़ा है| हर शक्स के हाथ में कटोरा है… माँ – बाप से न पूछ उम्र का हासिल, पेट काट काट कर उन्होंने तुझे जोड़ा है| हर शक्स के हाथ में कटोरा है… हर्फ़ – हर्फ़ उड़ता जाता है कागज़ से, तेरे नाम के बिना सब कोरा है| हर शक्स के हाथ में कटोरा है… मेरे गुनाहों का तू ही हिसाब कर ‘अंकुर की, मैंने हर फैसला तुझ पर छोड़ा है| हर शक्स के हाथ में कटोरा है… #Struggle हर शक्स के हाथ में कटोरा है, जिसके पास जितना है.. थोड़ा है| सांस – सांस मुजरिम बनी है,