आईना और अक्स लगता है जैसे दोनों हमजोली हैं। जब देखो एक-दूसरे से करते रहते आंख मिचोली हैं। कभी-कभी आईना अक्स का हमसफर सा लगता है। जब हंसते हैं तो हंसता है, जब कभी रोते हैं तो रोता है। ना हमसे कोई बात छुपाता है, ना कोई बात बताता है। हम जैसे होते हैं बस हमको, वैसे ही दिखाता रहता है। अक्स को भी आईने में देखे बिना चैन कहां आता है। आइने के बिना अक्स भी कहां खुद को देख पाता है। आईना ही है जो चेहरे की हकीकत से रूबरू कराता है। कभी देखकर आइने में खुद को ही पहचान नहीं पाते है। तन्हाइयों में होते हैं तो आईना ही हमारा साथ निभाता है। आइना ही है जो हमारी बढ़ती उम्र का अहसास कराता है। आईने में देखकर ही हम सजते संवरते और श्रृंगार करते हैं। आईना ही तो हमें हमारे चेहरों की कमियां को दिखाता है। एक आइना ही है जो टूटकर भी हर हाल में वफा निभाता है। खुद चूर-चूर हो जाता है पर कभी न कोई शिकायत करता है। -"Ek Soch" #आईना_और_अक्स_team_alfaz #new_challenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is *आईना और अक्स*