"धुंधलापन, अनगिनत झुर्रियां, कुछ अस्पष्ट वाक्य और मंद अस्तित्व के साथ, आज भी तंदुरुस्ती और पवित्र प्रेम अपने भीतर समेटे अलमारी के एक कोने में धड़क रहा है बूढ़े प्रेम पत्रों का हृदय। मुरझाए हुए खतों में आज भी महक रहा है माँ बाबा का अतुल्य विश्वास,सुगंधित इत्र बनकर!" _mirror of words❤ बूढ़े प्रेम पत्र!