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बूझ रहा हूं धीरे धीरे ज़रा सी शाम तो होने दो तुम च

बूझ रहा हूं धीरे धीरे ज़रा सी शाम तो होने दो
तुम चांद के दीदार के लिए बैठे हो
अभी हमारा काम तो होने दो
जिंदगी में गम बहुत ह और मत दो हमें
 चढ़ नहीं रही है आज की शाम 2 जाम ओर होने दो B+3+8+8
बूझ रहा हूं धीरे धीरे ज़रा सी शाम तो होने दो
तुम चांद के दीदार के लिए बैठे हो
अभी हमारा काम तो होने दो
जिंदगी में गम बहुत ह और मत दो हमें
 चढ़ नहीं रही है आज की शाम 2 जाम ओर होने दो B+3+8+8

B+3+8+8