एक उलझा हुआ किरदार हूॅं लोगों को लगता हैं कि मैं समझदार हूॅं खुश रहने के लिए उदास रहता हूं मुझे लगता है की मैं ग़द्दार हूँ . मैं थक गया, लगता है उलझ गया सुलझाने के प्रयास में लगता नहीं असरदार हूं मुझे लगता है की मैं गद्दार हूं मैं चिल्ला रहा था कल तक, अब लगता है मौन रहूँ चुपचाप नहीं सह सकने का गुनाहगार हूँ मुझे लगता है की मैं गद्दार हू जिद्द थी साथ चलने की अब तक अकेलेपन के लिए अब तैयार हूँ लगता है मैं............. नेक इरादे रहे रिश्तों में,शिद्दत से निभाया है खुद के लिए लगता नहीं वफादार हूँ लगता है की मैं................ ✒️नीलेश सिंह ©Nilesh #ग़द्दार