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पिता पर,,कविता,,किसी भी ख्वाब की तामीर पहली बार दे

पिता पर,,कविता,,किसी भी ख्वाब की तामीर पहली बार देखीं है,मेहरबां होती जिंदगी पहली बार देखीं है,,किसी मासूम बच्चे सा हो गया हु मै ,,जब पिता की तस्वीर पहली बार देखी। है,,,,,

©Nk Gupta Ji
  पिता पर,,कविता,,
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Nk Gupta Ji

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पिता पर,,कविता,,

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