इश्क़ की हिचकीयांँ 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 तू हुस्न है, मैं हबाब-ए- इश्क़ हूँ, तू इबादत है, मैं सजदा करूं, तुम मुकम्मल ग़ज़ाला प्रिये , मैं तुझ पर ग़जल लिखा करूं, तुम से ही सरूर ए इश्क़, तुमसे ही शिकायतें मेरी शिकवा-ए-बुतां मैं इश्क़-इ-मजाज़ी बन बज़्म-ए-मौसीकी-इश़्क में मुज़ाहिरा करूं। बेताब-ए-इश़्क में कहीं मार ना डालें , तेरे रुखसार पर गेसूंओ का मुहासरा, जब सामने आए वो, कसक दिल में उठी, बेताब दिल में मचलता ही रहा, प्यार में इश्क़ की हिचकियाँ का सबब और सब्र का हाल ना पूछो कोई, जुबाँ पे अनकही बातें थी उनसे पर बेचारा दिल लजरता ही रहा। सांसों को थोड़ा ठहराव चाहिए, मुझे मेरे हिस्से का प्यार चाहिए, राधा कृष्ण भी कहां एक हो पाए,उनसी प्रीत का वो नाम चाहिए, मैं हिज़्र की अग्न में बे-मतलब, बार-बार जलता-बुझता ही रहा, इश्क़ की हिचकियाँ सिसकियों में ना बदल जाए बस वो विश्वास चाहिए। #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #इश्क़कीहिचकियाँ #kksc15