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कभी अपनी तो कभी - किसी और की मुँह जबानी कहते हैं ।

कभी अपनी तो कभी -
किसी और की मुँह जबानी कहते हैं ।

कभी प्यार हुआ नहीं -
फिर भी प्यार की कहानी कहते हैं ।

उनको मामूली शब्द लगते ,
मेरे ज़ज़्बात बिखरे जो , कागज पर ।

मगर हम तो हमेशा ,
ज़िन्दादिलों की ज़िन्दगानी कहते हैं ।
कभी अपनी तो कभी -
किसी और की मुँह जबानी कहते हैं ।

कभी प्यार हुआ नहीं -
फिर भी प्यार की कहानी कहते हैं ।

उनको मामूली शब्द लगते ,
मेरे ज़ज़्बात बिखरे जो , कागज पर ।

मगर हम तो हमेशा ,
ज़िन्दादिलों की ज़िन्दगानी कहते हैं ।