#श्रीमद्भगवद्गीता_के_रहस्य गीता अध्याय 8 श्लोक 5 तथा 7 में अपनी भक्ति करने को कहा है तथा युद्ध भी कर, निःसंदेह मुझे प्राप्त होगा, परंतु जन्म-मृत्यु दोनों की बनी रहेगी। अपनी भक्ति का मंत्र अध्याय 8 के श्लोक 13 में बताया है कि मुझ ब्रह्म की भक्ति का केवल एक ओम अक्षर है। इस नाम का जाप अंतिम श्वांस तक करने वाले को इससे मिलने वाली गति यानि ब्रह्मलोक प्राप्त होता है।