शाम ढलते ही मैं तेरा इंतज़ार करता हूँ होकर तन्हा इस दुनिया में इंतज़ार करता हूँ तू नहीं करीब मेरे मुद्दते गुजरती रही आहिस्ता तेरे आने की आहट से दिल बेक़रार करता हूँ आज फ़क़त क़िर्तास पर लिखा जो नाम तेरा उस क़िर्तास पर सुबह-ओ-शाम निसार करता हूँ कहता है ज़माना मुझको एक शायर भटका हुआ अपने दिल को तेरे नाम का हिसार करता हूँ जाऊँ भी तो कहाँ मैं तेरी यादों को छोड़कर तुझको मैं अपने खुदा में शुमार करता हूँ 🔴 "दोस्तों आप लोग कोल्लब (COLLAB) करने से पहले कैप्शन जरूर पढ़ लें" 🔴 " इस प्रतियोगिता का समय सीमा आज रात्रि 12:00 बजे तक ही मान्य होगा" 🔴 "दोस्तों यह ग़ज़ल प्रतियोगिता है आप लोगों के ऊपर