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दिल राजी तो रव राजी, हैं कौन ये दुनियां वाले अब तो

दिल राजी तो रव राजी, हैं कौन ये दुनियां वाले
अब तोड़ दिए है हमने, पिजरें पे लगे सब ताले !
हम दोनों प्यार के पंछी, जीवनभर साथ उड़ेंगे 
हम दोनों साथ रहे हैं, हम दोनों साथ रहेंगे ! 💕💞🍨☕👨 ☕☕☕🍨💕💞🍫
तू फूल है चमन का मैं कली बहार की
मेरे लवों पे लिखदे तू दास्तांन प्यार की !
:🍨💕🙏🍨🍓😊💕😋
मेरी ये तस्वीर राजस्थान के राजसमंद जिले में कुम्भलगढ़ किले के अंदर प्रेवेश द्वार की है। ऊपर पहुंचते ही "हल्दीघाटी" की याद आगई तो सोचा आपसे साझा करूँ--- गोगुन्दा राजस्थान का एक कस्बा और तहसील मुख्यालय है। यह उदयपुर से 35 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है। यह अरावली की पहाड़ियों पर उंचाई में स्थित है। यहीं पर सन 1572 में महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक हुआ था। पहले गोगुन्दा रियासत थी। बड़ी रियासतों मे इसका उल्लेख मिलता है। महाराणा प्रताप सिंह ने अपनी राजधानी बनाया था। यहाँ से पुरे मेवाड़ का राज्य संभालते थे।
:💕🍫💕💕😊🍨☕👨
हल्दीघाटी की लड़ाई 18 जून, 1576 ई. को हुई थी। इसमें राणा प्रताप ने अप्रतिम वीरता दिखाई। सलीम के साथ जो सेना आयी थी, उसके अलावा एक सेना वक्त पर सहायता के लिये सुरक्षित रखी गई थी। और इस सेना द्वारा मुख्य सेना की हानिपूर्ति बराबर होती रही। इसी कारण मुग़लों के हताहतों की ठीक-ठीक संख्या इतिहासकारों ने नहीं लिखी है।
:😊💐☺☺🍨☕😊💕
दिल राजी तो रव राजी, हैं कौन ये दुनियां वाले
अब तोड़ दिए है हमने, पिजरें पे लगे सब ताले !
हम दोनों प्यार के पंछी, जीवनभर साथ उड़ेंगे 
हम दोनों साथ रहे हैं, हम दोनों साथ रहेंगे ! 💕💞🍨☕👨 ☕☕☕🍨💕💞🍫
तू फूल है चमन का मैं कली बहार की
मेरे लवों पे लिखदे तू दास्तांन प्यार की !
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मेरी ये तस्वीर राजस्थान के राजसमंद जिले में कुम्भलगढ़ किले के अंदर प्रेवेश द्वार की है। ऊपर पहुंचते ही "हल्दीघाटी" की याद आगई तो सोचा आपसे साझा करूँ--- गोगुन्दा राजस्थान का एक कस्बा और तहसील मुख्यालय है। यह उदयपुर से 35 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है। यह अरावली की पहाड़ियों पर उंचाई में स्थित है। यहीं पर सन 1572 में महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक हुआ था। पहले गोगुन्दा रियासत थी। बड़ी रियासतों मे इसका उल्लेख मिलता है। महाराणा प्रताप सिंह ने अपनी राजधानी बनाया था। यहाँ से पुरे मेवाड़ का राज्य संभालते थे।
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हल्दीघाटी की लड़ाई 18 जून, 1576 ई. को हुई थी। इसमें राणा प्रताप ने अप्रतिम वीरता दिखाई। सलीम के साथ जो सेना आयी थी, उसके अलावा एक सेना वक्त पर सहायता के लिये सुरक्षित रखी गई थी। और इस सेना द्वारा मुख्य सेना की हानिपूर्ति बराबर होती रही। इसी कारण मुग़लों के हताहतों की ठीक-ठीक संख्या इतिहासकारों ने नहीं लिखी है।
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