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फिलहाल तो आँखों में नमी है, कहीं कल को सैलाब न हो

फिलहाल तो आँखों में नमी है,
कहीं कल को सैलाब न हो जाए।

अभी तक़्लीफों में जो कमी है,
वक्त के साथ बेहिसाब न हो जाए।

लोग कहतें हैं हम सपनों में जीते हैं,
कहीं ज़िंदगी भी टूटा हुआ ख्वाब न हो जाए।

चारो तरफ सवाल हो बस दर्दों के,
और सारे दर्द ही जवाब न हो जाए।

बस ज़िंदगी को दहशत है इस बात की,
बन्द ए ग़म इसे मौत बनाने में 
कामयाब न हो जाए।

©Aarzoo smriti
  #aankhon me nami hai
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Aarzoo smriti

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#Aankhon me nami hai

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