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हर दिल पर राज हो,ये सोचकर तहरीरों को बदलना पड़ता ह

हर दिल पर राज हो,ये सोचकर तहरीरों को बदलना पड़ता है ।

रोज नये शेर, नयी गजलों के साथ ढलना पड़ता है ।

अपना वजूद बचाने की खातिर हम सुखनवरो को ।

आफताब की तरह हर रोज़ निकलना पड़ता है ।

azeem khan # हर रोज़ निकलना पड़ता है #
हर दिल पर राज हो,ये सोचकर तहरीरों को बदलना पड़ता है ।

रोज नये शेर, नयी गजलों के साथ ढलना पड़ता है ।

अपना वजूद बचाने की खातिर हम सुखनवरो को ।

आफताब की तरह हर रोज़ निकलना पड़ता है ।

azeem khan # हर रोज़ निकलना पड़ता है #
azeemkhan5403

Azeem Khan

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