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तुम्हारी आंखें जिनमें शर्म हया की है बरसाते छुप

तुम्हारी आंखें 


जिनमें शर्म हया की है बरसाते
छुपाती हमेशा स्त्री अपनी दिल की बातें
टूट ना जाए कहीं कोई रिश्ते....इसलिए
पलकों को रखती है हमेशा झुका के।। तुम्हारी आंखें
तुम्हारी आंखें 


जिनमें शर्म हया की है बरसाते
छुपाती हमेशा स्त्री अपनी दिल की बातें
टूट ना जाए कहीं कोई रिश्ते....इसलिए
पलकों को रखती है हमेशा झुका के।। तुम्हारी आंखें
nehapathak7952

Neha Pathak

New Creator

तुम्हारी आंखें