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राजनीति को सेवा नहीं टकसाल समझते हैं इसे आजकल अप

राजनीति को सेवा नहीं  टकसाल समझते हैं 
इसे आजकल अपने बाप का माल समझते हैं

लाल हुई धरती  फिर लाल हुए अखबार यहां
हम आदमी की खून को अब गुलाल समझते हैं 

बड़ी बातों का सबब न  राम अब छेड़िए 
इसे बिजनस हम बहुत बेमिशाल समझते हैं

वो बम बनाने की नौकरी हमे देने लगा है 
इसे बेरोजगारी में हम कोई इकबाल समझते हैं

कुर्सियों की चाहत में यहां घूमते हैं कातिल 
गुंडागर्दी को हम सियासी भोकाल समझते हैं

क्या रश्क है इंसानियत को इंसानियत से राम 
कि जम्हूरियत की जंग को अब मिसाल समझते हैं

*रामशंकर सिंह*  *उर्फ बंजारा कवि* 🖋️ #footprints
राजनीति को सेवा नहीं  टकसाल समझते हैं 
इसे आजकल अपने बाप का माल समझते हैं

लाल हुई धरती  फिर लाल हुए अखबार यहां
हम आदमी की खून को अब गुलाल समझते हैं 

बड़ी बातों का सबब न  राम अब छेड़िए 
इसे बिजनस हम बहुत बेमिशाल समझते हैं

वो बम बनाने की नौकरी हमे देने लगा है 
इसे बेरोजगारी में हम कोई इकबाल समझते हैं

कुर्सियों की चाहत में यहां घूमते हैं कातिल 
गुंडागर्दी को हम सियासी भोकाल समझते हैं

क्या रश्क है इंसानियत को इंसानियत से राम 
कि जम्हूरियत की जंग को अब मिसाल समझते हैं

*रामशंकर सिंह*  *उर्फ बंजारा कवि* 🖋️ #footprints
ramshankar0435

Ram Shankar

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