सुर और ताल के उतार चढ़ाव, जिसमें हो जाते हैं हम लीन। संगीत और इसके राग के बिन, जीवन है सबका गमगीन। किसी को लगता ये कोलाहल, तो माने कोई मुश्किलों का हल। है ये सबके जीवन का हिस्सा, इसके प्रति है मेरा प्रेम अचल। है सामवेद में स्वरों का वर्णन, हुआ संसार में भी खूब विकीर्णन। ये है अत्यधिक ही दुर्भाग्यपूर्ण, जो कम हुआ 'प्राचीन राग' का चलन। संगीत विद्यमान है हर रूप में, जीवन की छाँव और धूप में। बसता है ये प्रत्येक कण में, न है कुछ संगीत के अनुरूप में। सुर और ताल के उतार चढ़ाव, जिसमें हो जाते हैं हम लीन। संगीत और इसके राग के बिन, जीवन है सबका गमगीन। किसी को लगता ये कोलाहल, तो माने कोई मुश्किलों का हल। है ये सबके जीवन का हिस्सा,