ये #ख्वाबों #ख्यालों की दुनिया... है बड़ी अजीब इश्क मे एक शख्स... मेहताब बना जाता है हमे मुहब्बत है उससे... बेहिसाब, बेइंतहा वो इश्क मे गणित लगाकर.. उलझाए चला जाता है जब वास्ता नहीं रखना.. क्यू आना,फिर चले जाना दिल तो आखिर दिल है.. झूठी खुशी पर बहुत इतराता है कुछ गलतियांँ उसकी, कुछ मेरी... भी रही होगी लेकिन हमारा रिश्ता दरम्याँ.....साँस भी न ले पाता है उसके ख्वाब-ओ-ख्यालों से... दूर हो चली हूँ दिमाग तर्क-ए-ताल्लुक़ात मे... फँसा चला जाता है ©Manju Sharma