जलाएं थे जो चिराग़ हमनें, . जिसे बुझने ना दिए तुम ने,, आज फिर तेज हुई हैं ये हवाएँ बैरी,, . मुझे फिर से हैं जरूरत तेरी !! ये रुह भी अफसोस हैं मेरी, अब काम कि नही,, बस दोनो हाथ से छिपा ले इस, चिराग़ को,, ताकी तुझमें ही छिपालू अपने आपको!! @yaadaatihai yaar teri