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हर नौकरी पेशा आदमी की यही कहानी है कि उसकी सामाजिक

हर नौकरी पेशा आदमी की यही कहानी है कि उसकी सामाजिक जिंदगी लगभग खत्म हो चुकी है...सुनिए क्या है उसके हालात👇


मै यूँ जी रहा हूँ भी तो जैसे हो कोई ये भी काम
ना दिन ना रात ना ही सुबह और शाम, 
चैनो सुकून है कहाँ गुम .... 
इस बात से दिल मेरा है ये हैरान,
क्या क्या है करने को और क्या कर रहा हूँ
अब हर वक्त बस शायद मैं इक इंसानी-मशीन बन रहा हूँ, 
इस बेतरतीब हो चुकी जिंदगी को बचाऊँ तो कैसे
मैं ख़ुद को हर बात वो समझाऊँ तो कैसे, 
और मेरा वक्त भी अब बिक चुका है तनख्वाह के भाव में
किसी और के लिए वो वक्त मैं लाऊँ तो कैसे,

©Empty Inkwell by Rahul Sharma हर नौकरी पेशा आदमी की यही कहानी है कि उसकी सामाजिक जिंदगी लगभग खत्म हो चुकी है...सुनिए क्या है उसके हालात👇

मै यूँ जी रहा हूँ भी तो जैसे हो कोई ये भी काम
ना दिन ना रात ना ही सुबह और शाम, 
चैनो सुकून है कहाँ गुम .... 
इस बात से दिल मेरा है ये हैरान,
क्या क्या है करने को और क्या कर रहा हूँ
अब हर वक्त बस शायद मैं इक इंसानी-मशीन बन रहा हूँ,
हर नौकरी पेशा आदमी की यही कहानी है कि उसकी सामाजिक जिंदगी लगभग खत्म हो चुकी है...सुनिए क्या है उसके हालात👇


मै यूँ जी रहा हूँ भी तो जैसे हो कोई ये भी काम
ना दिन ना रात ना ही सुबह और शाम, 
चैनो सुकून है कहाँ गुम .... 
इस बात से दिल मेरा है ये हैरान,
क्या क्या है करने को और क्या कर रहा हूँ
अब हर वक्त बस शायद मैं इक इंसानी-मशीन बन रहा हूँ, 
इस बेतरतीब हो चुकी जिंदगी को बचाऊँ तो कैसे
मैं ख़ुद को हर बात वो समझाऊँ तो कैसे, 
और मेरा वक्त भी अब बिक चुका है तनख्वाह के भाव में
किसी और के लिए वो वक्त मैं लाऊँ तो कैसे,

©Empty Inkwell by Rahul Sharma हर नौकरी पेशा आदमी की यही कहानी है कि उसकी सामाजिक जिंदगी लगभग खत्म हो चुकी है...सुनिए क्या है उसके हालात👇

मै यूँ जी रहा हूँ भी तो जैसे हो कोई ये भी काम
ना दिन ना रात ना ही सुबह और शाम, 
चैनो सुकून है कहाँ गुम .... 
इस बात से दिल मेरा है ये हैरान,
क्या क्या है करने को और क्या कर रहा हूँ
अब हर वक्त बस शायद मैं इक इंसानी-मशीन बन रहा हूँ,

हर नौकरी पेशा आदमी की यही कहानी है कि उसकी सामाजिक जिंदगी लगभग खत्म हो चुकी है...सुनिए क्या है उसके हालात👇 मै यूँ जी रहा हूँ भी तो जैसे हो कोई ये भी काम ना दिन ना रात ना ही सुबह और शाम, चैनो सुकून है कहाँ गुम .... इस बात से दिल मेरा है ये हैरान, क्या क्या है करने को और क्या कर रहा हूँ अब हर वक्त बस शायद मैं इक इंसानी-मशीन बन रहा हूँ, #Shades #कविता #अनभिज्ञ_कवि #anbhigya_kavi #empty_inkwell #the_rhyming_ink