उड़ने की ख्वाइश लिए एक परिंदा आगे बढ़ता रहा वो गिरता रहा सम्भलता रहा और चलता रहा घाव कई थे ज़ख्म बेहिसाब थे मगर वो चलता रहा कुछ अपनों ने हाथ बढ़ाये है इस उम्मीद मे वो चलता रहा जख्म गहरे होते गए और हौसले थक चुके थे मे उड़ सकता हुँ, इस उम्मीद मे वो फिर भी आगे बढ़ता रहा अपनी हिम्मत को ढाल बनाकर वो लडता रहा थक चूका था शायद वो अपने जख्मो के दर्द से पीछे मुड़कर देखा तो उसके अपने भी साथ छोड़ चले थे काबिलियत थी उसमे उड़ने की और हिम्मत उसका साथी थी मगर अपनों का साथ छूटता देख वो खुद से ही हार गया😔😑 @अमन सिंह तोमर #Hate #dipressed #Jindagi #reading