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कुछ मैं भी थक गयी हूँ उसे ढूँढ़ते-ढूँढ़ते; कुछ ज़िंदग

कुछ मैं भी थक गयी हूँ उसे ढूँढ़ते-ढूँढ़ते;
कुछ ज़िंदगी के पास भी मोहलत नहीं रही;
उसकी एक-एक अदा से झलकने लगा था खलूस;
जब मुझ को ही ऐतबार की आदत नहीं रही। Dil ka dard
कुछ मैं भी थक गयी हूँ उसे ढूँढ़ते-ढूँढ़ते;
कुछ ज़िंदगी के पास भी मोहलत नहीं रही;
उसकी एक-एक अदा से झलकने लगा था खलूस;
जब मुझ को ही ऐतबार की आदत नहीं रही। Dil ka dard
sonualvi8653

Sonu Alvi

New Creator

Dil ka dard