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Kammo part IV चाचाजी और सरपंच दोनों हसने लगे। ये श

Kammo part IV चाचाजी और सरपंच दोनों हसने लगे। ये शांती कुछ  ही देर की है, आने दो उसको कालेज से, सारा घर सिर पर उठा लेगी।
मैं: कम्मो?
सरपंच: तू कब मिल लिया पुत्तर?
मैं: ये सिर पर उसके लठ्ठ का तोहफा है ।
चाचाजी: अरे रे!
तभी बाहर से शोर की आवाजें आने लगी । वो उठा पटक करती हुई दाखिल हुई ।
कम्मो: बाऊ जी,  देखना किसी घर के दरवाजे पर गाड़ी खड़ी कर दी। मेरी सकूटर कैसे अंदर करू? मैं बाहर नहीं छोड़ रही, करवाओ तुस्सी अंदर । 
फिर वो जोर से चिल्लाई , बाऊ जी!
Kammo part IV चाचाजी और सरपंच दोनों हसने लगे। ये शांती कुछ  ही देर की है, आने दो उसको कालेज से, सारा घर सिर पर उठा लेगी।
मैं: कम्मो?
सरपंच: तू कब मिल लिया पुत्तर?
मैं: ये सिर पर उसके लठ्ठ का तोहफा है ।
चाचाजी: अरे रे!
तभी बाहर से शोर की आवाजें आने लगी । वो उठा पटक करती हुई दाखिल हुई ।
कम्मो: बाऊ जी,  देखना किसी घर के दरवाजे पर गाड़ी खड़ी कर दी। मेरी सकूटर कैसे अंदर करू? मैं बाहर नहीं छोड़ रही, करवाओ तुस्सी अंदर । 
फिर वो जोर से चिल्लाई , बाऊ जी!

चाचाजी और सरपंच दोनों हसने लगे। ये शांती कुछ ही देर की है, आने दो उसको कालेज से, सारा घर सिर पर उठा लेगी। मैं: कम्मो? सरपंच: तू कब मिल लिया पुत्तर? मैं: ये सिर पर उसके लठ्ठ का तोहफा है । चाचाजी: अरे रे! तभी बाहर से शोर की आवाजें आने लगी । वो उठा पटक करती हुई दाखिल हुई । कम्मो: बाऊ जी, देखना किसी घर के दरवाजे पर गाड़ी खड़ी कर दी। मेरी सकूटर कैसे अंदर करू? मैं बाहर नहीं छोड़ रही, करवाओ तुस्सी अंदर । फिर वो जोर से चिल्लाई , बाऊ जी! #ShortStory #yqtales #yqhindi #yqstory