चाचाजी और सरपंच दोनों हसने लगे। ये शांती कुछ ही देर की है, आने दो उसको कालेज से, सारा घर सिर पर उठा लेगी।
मैं: कम्मो?
सरपंच: तू कब मिल लिया पुत्तर?
मैं: ये सिर पर उसके लठ्ठ का तोहफा है ।
चाचाजी: अरे रे!
तभी बाहर से शोर की आवाजें आने लगी । वो उठा पटक करती हुई दाखिल हुई ।
कम्मो: बाऊ जी, देखना किसी घर के दरवाजे पर गाड़ी खड़ी कर दी। मेरी सकूटर कैसे अंदर करू? मैं बाहर नहीं छोड़ रही, करवाओ तुस्सी अंदर ।
फिर वो जोर से चिल्लाई , बाऊ जी! #ShortStory#yqtales#yqhindi#yqstory