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तुम क्या मुझे मेरी हैसियत बताने आए हो मैं जमीं पर

तुम क्या मुझे मेरी हैसियत बताने आए हो
मैं जमीं पर रहता हूं ।
तुम आसमान का चांद हो दिखाने आए हो ।
नज़र भर कर देखने की सजा क्या मुझको क्या दोगे ।
कुछ सोच रखा है ।
या बस यूं ही सताने चले आए हो ।
गरीबों को ख्वाब देखने की मनाही है क्या..?
या फिर बहुत गुरूर है
जलाने चले आए हो...!

©maher singaniya हैसियत
तुम क्या मुझे मेरी हैसियत बताने आए हो
मैं जमीं पर रहता हूं ।
तुम आसमान का चांद हो दिखाने आए हो ।
नज़र भर कर देखने की सजा क्या मुझको क्या दोगे ।
कुछ सोच रखा है ।
या बस यूं ही सताने चले आए हो ।
गरीबों को ख्वाब देखने की मनाही है क्या..?
या फिर बहुत गुरूर है
जलाने चले आए हो...!

©maher singaniya हैसियत