तुम क्या मुझे मेरी हैसियत बताने आए हो मैं जमीं पर रहता हूं । तुम आसमान का चांद हो दिखाने आए हो । नज़र भर कर देखने की सजा क्या मुझको क्या दोगे । कुछ सोच रखा है । या बस यूं ही सताने चले आए हो । गरीबों को ख्वाब देखने की मनाही है क्या..? या फिर बहुत गुरूर है जलाने चले आए हो...! ©maher singaniya हैसियत