रूह से रूह के मिलन का 'इक़रार' है जिस्म के 'ज़ख्म' से हमें 'इन्कार' है संग-संग चल, इस राह का इक़रार है छोड़ दे जो मझधार में इससे इन्कार है उम्र भर का साथ होगा, यह इक़रार है मुसीबत में छोड़ दे, इससे 'इन्कार' है 'इज्ज़त' तेरी बनाए रखेंगे 'इक़रार' है आँच ना आए उस काम से 'इन्कार' है दर्द में साथ हूँ हरपल मैं यह इक़रार है दर्द ना दूँगा कभी, ज़ख़्म का इन्कार है इक़रार और इन्कार #restzone #rzलेखकसमूह #rztask48 #इकरार #इनकारहै #अल्फाज_ए_कृष्णा रूह से रूह के मिलन का 'इक़रार' है जिस्म के 'ज़ख्म' से हमें 'इन्कार' है संग-संग चल, इस राह का इक़रार है छोड़ दे जो मझधार में इससे इन्कार है