लाखो यूँहीआये लाखो यूँही गये तू क्यों पछताये तू क्यों रोये तू क्यों न मुस्कुराये तू क्यों हर पल यू बिताये आ ये भी पाये आ वो भी पाये आ सब कुछ पाये बस यूं ही मुसकुराये mohit पल हर पल