आरंभ मेरे इस किस्से का हो जीवन का उपसंहार भी तुम , मेरे तृणवत सामर्थ्य देह में नव शक्ति का संचार भी तुम। असहाय कभी मै पड़ जाऊं खो जाऊं अगर अंधेरे में, फिर दिशा नई देने वाला "शिव" नैया-खेवनहार भी तुम। - ©Yadav Rajveer #shivbhakt #mahakal