गर इश्क़ मेरा जुर्म है तो फिर बन्दगी क्या है कोई दर्द ही ना हो तो फिर जिन्दगी क्या है, मकसद-ए-मोहब्बत बदलती है नित नये यार लिबास सा, मेरे हर अहसास में दर्जा है तुझे खुदा का परवाना हूँ मुझे क्या पता दिललगी क्या है।। बृजेन्द्र 'बावरा, www.facebook.com/bawraspoetry/ #NojotoQuote बन्दगी शायरी #इश्क #बन्दगी #मोहब्बत #लिबास #परवाना #दिललगी #NojotoHindi #bawraspoetry