राम मौन है बौद्ध मौन है, मौन है यीशु अल्हा ताला, विश्व पड़ा है संकट में, मातम का फैला है जाला। बाबा मौन है मौली मौन है, मौन कादरी गुरुद्वारा, पाँव पसारे वायरस बैठा, कोई नहीं है रखवाला। सड़कों पर सन्नाटा है, बेचैनी है अंतर्मन मैं, एक मीटर की दूरी है, अपनों के अपनेपन में। फ़ैल रहा है जहर हवा में साँसों पर भी छन्नी है, कोई और नहीं है दोषी यहाँ, सब अपनों की करनी है। अब दृढ़ संकल्पित हो और आगे बढ़, जो हो गया जो होना था। अब धीरज धर कोई हल निकलेगा, इस वायरस कोरोना का। -Er. Anil नोबेल कोरोना वायरस #covid19