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इंसान की नकारात्मकता एक अदृश्य पिंजरा है जिसमे वो

इंसान की नकारात्मकता एक अदृश्य पिंजरा है
जिसमे वो खुद ही खुद को कैद कर लेता है।
- अदिती कपीश अग्रवाल  मोहब्बत की हर कहानी अधूरी पढ़ी है
 जमाने के डर से कितनी मोहब्बतें आज भी
 किताबो में  यू ही पन्नो पर बिखरे हुए अल्फाज़ मिलते है !!
 नजाने कितने मोहब्बत के पिजरे आबाद कम और कैद में
 जज़्बात अधूरे मिलते है !!

 हर कोई लिख रहा है अपनी इक कहानी बस सिर्फ वो
 पन्नो पर ही अपनी अधूरी कहानियों को समेट रहा है !!
इंसान की नकारात्मकता एक अदृश्य पिंजरा है
जिसमे वो खुद ही खुद को कैद कर लेता है।
- अदिती कपीश अग्रवाल  मोहब्बत की हर कहानी अधूरी पढ़ी है
 जमाने के डर से कितनी मोहब्बतें आज भी
 किताबो में  यू ही पन्नो पर बिखरे हुए अल्फाज़ मिलते है !!
 नजाने कितने मोहब्बत के पिजरे आबाद कम और कैद में
 जज़्बात अधूरे मिलते है !!

 हर कोई लिख रहा है अपनी इक कहानी बस सिर्फ वो
 पन्नो पर ही अपनी अधूरी कहानियों को समेट रहा है !!

मोहब्बत की हर कहानी अधूरी पढ़ी है जमाने के डर से कितनी मोहब्बतें आज भी किताबो में यू ही पन्नो पर बिखरे हुए अल्फाज़ मिलते है !! नजाने कितने मोहब्बत के पिजरे आबाद कम और कैद में जज़्बात अधूरे मिलते है !! हर कोई लिख रहा है अपनी इक कहानी बस सिर्फ वो पन्नो पर ही अपनी अधूरी कहानियों को समेट रहा है !! #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqhindi #yqquotes #yqaestheticthoughts