बर दायक प्रनतारति भंजन । कृपासिंधु सेवक मन रंजन ॥ इच्छित फल बिनु सिव अवराधें । लहिअ न कोटि जोग जप साधें ॥ भावार्थ-शिवजी वर देने वाले, शरणागतों के दुःखों का नाश करने वाले, कृपा के समुद्र और सेवकों के मन को प्रसन्न करने वाले हैं। शिवजी की आराधना किए बिना करोड़ों योग और जप करने पर भी वांछित फल नहीं मिलता ॥ ~बालकाण्ड श्रीरामचरितमानस ©Mukesh Rathore श्रीरामचरितमानस🙏🏻 . . . #mahadev #shriram #Bannykrezy4