अब रात के अंधेरे भी मुझे सोने नहीं देते भूलना चाहता हूं मैं तुम्हें ये भुलने नहीं देते जब लेता हूं झपकी ये पलकों को खींच लेते हैं बहाकर आंसुओं को ये खुद-ही को सींच लेते हैं # ये राते भी ना सोने नही देती#