कोई सहारा नही बेसहारा हूं मैं, जग से हारा नही खुद से हारा हूं मैं। सामने मेरे डूब गई मेरी कश्तियां, कुछ ना कर पाया ऐसा किनारा हूं मैं। अश्क रहते हैं मेरे तबस्सुम निहा, सोचना मत कभी तू आवारा हूं मैं। चाहे ठुकराए ज़माना मुझे ग़म नही, माँ तो कहती हैं उसका दुलारा हूं मैं। ना कर शोखियां अपनी हुस्नो अदा पर, सुन ले तू महजबीन कवारा हूं मैं। नासमझ ना समझ मुझको जाने वफ़ा, तेरी हद से भी बढ़कर पसारा हूं मैं। मेरी कंगालियत मेरी महफ़िल रफ़ीक़, अपनी तन्हाइयो का एक रसाला हूं मैं। #Nashad💔👉👀 #तबस्सुम #निहा #दुलारा,