ऊंची उड़ान भरना चाहती हूँ मैं पंछी संग रहना चाहती हूँ मैं नभ की ऊंचाई डराती है मुझे इसलिए धरती से डोर बांधना चाहती हूँ मैं जमाने का ख्याल नही आज सफल करने है सब काज हौसले को पर लगाना चाहती हूँ मै उसी से उड़ान भरना चाहती हूँ मैं फुलो को तोड़ना नही था अरमानो को छोड़ना नही था हंसी के साथ मुस्कान चाहती हूँ मैं तभी उड़ान भरना चाहती हूँ मैं इम्तिहान दे रही थी दिन और रात पार करना चाहती हूँ समंदर सात पर्वत की छोटी झुकाना चाहती हूँ मैं झुकू ना मैं तभी उड़ान भरना चाहती हूँ मैं kinग ऑf priन्स #thanks