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हाथ आकर गले मिलने से बिछड़ गया कोई "आगोश" में लेने

हाथ आकर गले मिलने से बिछड़ गया कोई
"आगोश" में लेने को कब से जी बेकरार था
लगा किसी ने सर से 'छप्पर' उठा गया कोई 
आंखें झुकाए होंठ को तलवे चूसता रहा था 
उफ़ आह तब तक ना निकली जूवां से कोई
कब्र पर मेरी शायद कोई चादर चढ़ा गया था

©अनुषी का पिटारा.. #cycle #बेजुबान_इश्क़
हाथ आकर गले मिलने से बिछड़ गया कोई
"आगोश" में लेने को कब से जी बेकरार था
लगा किसी ने सर से 'छप्पर' उठा गया कोई 
आंखें झुकाए होंठ को तलवे चूसता रहा था 
उफ़ आह तब तक ना निकली जूवां से कोई
कब्र पर मेरी शायद कोई चादर चढ़ा गया था

©अनुषी का पिटारा.. #cycle #बेजुबान_इश्क़