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जहां मिले मोहब्बत वही ठहर जाते हैं हम फकीरों का को

जहां मिले मोहब्बत वही ठहर जाते हैं
हम फकीरों का कोई ठिकाना नहीं होता
मोहब्बत है तो आँखे बोल देतीं हैं
उसे हर वक्त ज़ताना नहीं होता
क्यु नशे में धुत हुए जा रहे हो 
हर मसले का हल मैखाना नहीं होता 
ये मोहब्बत है इसके मालिक कम ही मिलते हैं
हर शख्स के पास ये खजाना नहीं होता
   
                                 — प्रणव पाराशर 
    Fakirana....
जहां मिले मोहब्बत वही ठहर जाते हैं
हम फकीरों का कोई ठिकाना नहीं होता
मोहब्बत है तो आँखे बोल देतीं हैं
उसे हर वक्त ज़ताना नहीं होता
क्यु नशे में धुत हुए जा रहे हो 
हर मसले का हल मैखाना नहीं होता 
ये मोहब्बत है इसके मालिक कम ही मिलते हैं
हर शख्स के पास ये खजाना नहीं होता
   
                                 — प्रणव पाराशर 
    Fakirana....