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Unsplash दिल की ठगी करके वो ख़ुद हो होशियार करते ह

Unsplash  दिल की ठगी करके वो ख़ुद हो होशियार करते हैं,
हम मरते हैं उस यकीन पर ख़ुद को बीमार करते हैं..!

पहले पड़ते हैं जब इश्क़ में आँखों को चार करते हैं,
कसमें वादों से ख़ुद का कुछ यूँ प्रचार करते हैं..!

कभी डरते हैं उन्हें खोने से ख़ुद को खो कर नया प्रसार करते हैं,
हफ़्ते के 6 दिन उनकी ख़ातिर और ख़ुद को इतवार करते हैं..!

न मिलता है सुकून कभी भी यूँ बस एक दिन में,
दिल की कसक मिटाने ख़ुद को अच्छा आसार करते हैं..!

वो होते हैं मशहूर दिन रात हमारी चाहतों के असर से,
और औकात भूल कर अपनी हमें फटा पुराना अख़बार करते हैं..!

©SHIVA KANT(Shayar) #library #dilkithagi
Unsplash  दिल की ठगी करके वो ख़ुद हो होशियार करते हैं,
हम मरते हैं उस यकीन पर ख़ुद को बीमार करते हैं..!

पहले पड़ते हैं जब इश्क़ में आँखों को चार करते हैं,
कसमें वादों से ख़ुद का कुछ यूँ प्रचार करते हैं..!

कभी डरते हैं उन्हें खोने से ख़ुद को खो कर नया प्रसार करते हैं,
हफ़्ते के 6 दिन उनकी ख़ातिर और ख़ुद को इतवार करते हैं..!

न मिलता है सुकून कभी भी यूँ बस एक दिन में,
दिल की कसक मिटाने ख़ुद को अच्छा आसार करते हैं..!

वो होते हैं मशहूर दिन रात हमारी चाहतों के असर से,
और औकात भूल कर अपनी हमें फटा पुराना अख़बार करते हैं..!

©SHIVA KANT(Shayar) #library #dilkithagi