एक सैनिक के दुख की परिभाषा क्या बतलाऊं मैं, इनके मन की इच्छा या अभिलाषा क्या समझाऊं मैं। इन्हे नहीं है चाहत इस जीवन में खुशियां चुनने की, इन्हे नहीं है फुरसत भोग विलास के सपने बुनने की। खाकी के वर्दी को ये अपना श्रृंगार बताते है, जान लूटा लुटाकर ये अपना त्योहार मानते हैं। देख सके जो दिव्य हृदय वो आंख कहां से लाऊं मैं, एक सैनिक के दुख की परिभाषा क्या बतलाऊं मैं, #sianik #army #hinwara attack #shahid