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हर शाम जब वो अकेले कमरे में रहता था हज़ारो सवालों

हर शाम जब वो अकेले 
कमरे में रहता था
हज़ारो सवालों के बीच 
से जब वो  गुजरता था
सारे बिगड़े कामो को 
वो सुधारता रह गया
अपनी जीने की ख्वाइश 
को वो पूरा करता रह गया।
                   
   
   {Continued}
 हर शाम जब वो अकेले 
कमरे में रहता था
हज़ारो सवालों के बीच 
से जब वो  गुजरता था
सारे बिगड़े कामो को 
वो सुधारता रह गया
अपनी जीने की ख्वाइश 
को वो पूरा करता रह गया।
हर शाम जब वो अकेले 
कमरे में रहता था
हज़ारो सवालों के बीच 
से जब वो  गुजरता था
सारे बिगड़े कामो को 
वो सुधारता रह गया
अपनी जीने की ख्वाइश 
को वो पूरा करता रह गया।
                   
   
   {Continued}
 हर शाम जब वो अकेले 
कमरे में रहता था
हज़ारो सवालों के बीच 
से जब वो  गुजरता था
सारे बिगड़े कामो को 
वो सुधारता रह गया
अपनी जीने की ख्वाइश 
को वो पूरा करता रह गया।

हर शाम जब वो अकेले कमरे में रहता था हज़ारो सवालों के बीच से जब वो गुजरता था सारे बिगड़े कामो को वो सुधारता रह गया अपनी जीने की ख्वाइश को वो पूरा करता रह गया।