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किस्सा 2 : आजादी की कीमत दिल्ली की चाँदनी चौक की

किस्सा 2 : आजादी की कीमत

दिल्ली की चाँदनी चौक की वो सड़क एक तरफ से तो गाडियों के शोर को प्रदान करती दुसरी तरफ से उन पक्षियों की चित्कार को । जैसे पिंजरे में बंद प्रकृति , खुले मे सड़क पर दौडती आधुनिकता को कोसती हो कि तुम्हारे मालिकों के पैर है पर वो चलना नहीं चाहते और हमारे पंख है पर हमें कोई उड़ने नहीं देता ।

पूरा किस्सा कैप्शन में पढें.. ।। किस्सा 2 : आजादी की कीमत

आजादी शब्द जब सुनते है तो राष्ट्रभक्तों को भगत सिंह याद आते है और अतिदेशभक्तों को वो लाल ढपली वाले जो ना जाने किससे आजादी माँगते है लेकिन आज जो मै किस्सा सुनाने जा रहा हूँ वो इन देशप्रिय और राजनीतिक बहसों से परे है । आज मै उस आजादी की कीमत बताना चाहता हूँ जो एक मामूली छोटे पक्षी की नजर से और भी किमती ,और भी पवित्र हो जाती है । जरूरी नहीं आप जीवन के रंग अपने जीवन पर ही पोत कर समझ पाएं कि आपके कितने रंग है,आप एक मामूली पंछी की महत्वकांक्षाओं से भी समझ सकते है कि प्रकृति ने एक मूलभूत हक हर जीव को दिया है उसके जीवन मे और वो हक है "आजादी" । अब राजनैतिक पंडित अलग अलग परिभाषाएं भी दे सकते है ।

दिल्ली की चाँदनी चौक की वो सड़क एक तरफ से तो गाडियों के शोर को प्रदान करती दुसरी तरफ से उन पक्षियों की चित्कार को । जैसे पिंजरे में बंद प्रकृति , खुले मे सड़क पर दौडती आधुनिकता को कोसती हो कि तुम्हारे मालिकों के पैर है पर वो चलना नहीं चाहते और हमारे पंख है पर हमें कोई उड़ने नहीं देता ।

वैसे तो आलसी मिजाज का इंसान हूँ तो ज्यादा घूमता फिरता नहीं, पर कभी कभी एसे मौके आते है जब महसूस होता है कि कुछ नया देखना चाहिए । थोडा शोर और थोडी भीड़ इतनी भी हानिकारक नहीं होती । तो एक दिन एसा भी आया कि अपने खास मित्र/अपने कॉलेज के सहपाठी/अपने किराए के कमरे के एक तिहाई मालिक के साथ चाँदनी चौक की सड़को पर तफरी मार रहा था । आखिर मे लौटते वक्त विचार आया कि क्यों ना उस कैदी बाजार मे भी जाया जाए और ग्राहक ना सही पर एक दर्शक के तौर पे वहाँ कई रंगो के पक्षियों को एक रंग के पिंजरों में बंद देखा जाए । क्या ना था उस बाजार मे रंग बिरंगे तोते, उडान की क्षमता पर छंटे कबूतर, मैना, तो कोई विदेशी नस्ल के पक्षी । इतने रंगों के मिश्रण के बाद भी,इतनी रौनकों के बाद भी मुझे जैसे मायूसी सी दिखी माहौल मे, अगर वो पक्षी बोल पाते तो दिल्ली की राजनैतिक हवा से प्रेरित हो कर जरूर बोलते के "हम ले के रहेंगे आजादी" ।
किस्सा 2 : आजादी की कीमत

दिल्ली की चाँदनी चौक की वो सड़क एक तरफ से तो गाडियों के शोर को प्रदान करती दुसरी तरफ से उन पक्षियों की चित्कार को । जैसे पिंजरे में बंद प्रकृति , खुले मे सड़क पर दौडती आधुनिकता को कोसती हो कि तुम्हारे मालिकों के पैर है पर वो चलना नहीं चाहते और हमारे पंख है पर हमें कोई उड़ने नहीं देता ।

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आजादी शब्द जब सुनते है तो राष्ट्रभक्तों को भगत सिंह याद आते है और अतिदेशभक्तों को वो लाल ढपली वाले जो ना जाने किससे आजादी माँगते है लेकिन आज जो मै किस्सा सुनाने जा रहा हूँ वो इन देशप्रिय और राजनीतिक बहसों से परे है । आज मै उस आजादी की कीमत बताना चाहता हूँ जो एक मामूली छोटे पक्षी की नजर से और भी किमती ,और भी पवित्र हो जाती है । जरूरी नहीं आप जीवन के रंग अपने जीवन पर ही पोत कर समझ पाएं कि आपके कितने रंग है,आप एक मामूली पंछी की महत्वकांक्षाओं से भी समझ सकते है कि प्रकृति ने एक मूलभूत हक हर जीव को दिया है उसके जीवन मे और वो हक है "आजादी" । अब राजनैतिक पंडित अलग अलग परिभाषाएं भी दे सकते है ।

दिल्ली की चाँदनी चौक की वो सड़क एक तरफ से तो गाडियों के शोर को प्रदान करती दुसरी तरफ से उन पक्षियों की चित्कार को । जैसे पिंजरे में बंद प्रकृति , खुले मे सड़क पर दौडती आधुनिकता को कोसती हो कि तुम्हारे मालिकों के पैर है पर वो चलना नहीं चाहते और हमारे पंख है पर हमें कोई उड़ने नहीं देता ।

वैसे तो आलसी मिजाज का इंसान हूँ तो ज्यादा घूमता फिरता नहीं, पर कभी कभी एसे मौके आते है जब महसूस होता है कि कुछ नया देखना चाहिए । थोडा शोर और थोडी भीड़ इतनी भी हानिकारक नहीं होती । तो एक दिन एसा भी आया कि अपने खास मित्र/अपने कॉलेज के सहपाठी/अपने किराए के कमरे के एक तिहाई मालिक के साथ चाँदनी चौक की सड़को पर तफरी मार रहा था । आखिर मे लौटते वक्त विचार आया कि क्यों ना उस कैदी बाजार मे भी जाया जाए और ग्राहक ना सही पर एक दर्शक के तौर पे वहाँ कई रंगो के पक्षियों को एक रंग के पिंजरों में बंद देखा जाए । क्या ना था उस बाजार मे रंग बिरंगे तोते, उडान की क्षमता पर छंटे कबूतर, मैना, तो कोई विदेशी नस्ल के पक्षी । इतने रंगों के मिश्रण के बाद भी,इतनी रौनकों के बाद भी मुझे जैसे मायूसी सी दिखी माहौल मे, अगर वो पक्षी बोल पाते तो दिल्ली की राजनैतिक हवा से प्रेरित हो कर जरूर बोलते के "हम ले के रहेंगे आजादी" ।
namitraturi9359

Namit Raturi

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