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मैं भटकता हुआ मुसाफ़िर दरबदर ढूंढे खुदा एक सुकून

मैं भटकता हुआ मुसाफ़िर 
दरबदर ढूंढे खुदा 
एक सुकून मिल रहा है 
जब से तूने मुझे छुआ 

न मालूम मुझको 
यह धड़कन क्यों बढ़ गया 
यह सांसे गर्म हो गई 
इन सांसो को क्या हुआ 

यह दर्द पुराना है मेरा 
अब दर्द का होता मुझमें बसेरा 
थोड़ा सा सुकून मिल जाए 
तेरे लब से निकले,
 फिर से वह दुआ 

समझा भी ना सका 
मैं हाले दिल को 
तू मेरी जिंदगी में आजा 
फिर से बन के रहनुमा #bhtakta_musaphir
मैं भटकता हुआ मुसाफ़िर 
दरबदर ढूंढे खुदा 
एक सुकून मिल रहा है 
जब से तूने मुझे छुआ 

न मालूम मुझको 
यह धड़कन क्यों बढ़ गया 
यह सांसे गर्म हो गई 
इन सांसो को क्या हुआ 

यह दर्द पुराना है मेरा 
अब दर्द का होता मुझमें बसेरा 
थोड़ा सा सुकून मिल जाए 
तेरे लब से निकले,
 फिर से वह दुआ 

समझा भी ना सका 
मैं हाले दिल को 
तू मेरी जिंदगी में आजा 
फिर से बन के रहनुमा #bhtakta_musaphir