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झूले पर बैठी तो जाना की ये प्रकृति भी झूला है आग



झूले पर बैठी तो जाना की ये प्रकृति भी झूला है
आगे जाकर इसको फिर से तो उसी बिंदु को छूना है

बैठा झूले पर से सूरज दिन भर पींगें चाहें भरता हो
सांझ ढले फिर उसको जाकर अस्ताचल को छूना है

दिन ढलता है फिर रात गुजरती फिर होना दिन अगला है
रखो हौसला यही देखकर फिर क्यों मन ये सूना है 

है प्रकृति हमको बतलाती ना तू गम से घबराना
खुशियों के आने का मंजर तो मानो गमों से दूना है 

निहारिका सिंह #nojoto #nojotohindi #poetry #kalakaksh #quotes #झूला #nature #प्रकृति


झूले पर बैठी तो जाना की ये प्रकृति भी झूला है
आगे जाकर इसको फिर से तो उसी बिंदु को छूना है

बैठा झूले पर से सूरज दिन भर पींगें चाहें भरता हो
सांझ ढले फिर उसको जाकर अस्ताचल को छूना है

दिन ढलता है फिर रात गुजरती फिर होना दिन अगला है
रखो हौसला यही देखकर फिर क्यों मन ये सूना है 

है प्रकृति हमको बतलाती ना तू गम से घबराना
खुशियों के आने का मंजर तो मानो गमों से दूना है 

निहारिका सिंह #nojoto #nojotohindi #poetry #kalakaksh #quotes #झूला #nature #प्रकृति