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मेहनत मजदूरी से कभी नहीं बदलेंगे तुम्हारे हाल वो

मेहनत मजदूरी से

कभी नहीं बदलेंगे तुम्हारे हाल

वो अपने बच्चे को देते रहेंगे

तुम्हारे खून से लथपथ जेबरात

तुम्हारे हृदय पर होंगे सिर्फ घाव

तुम्हारे बच्चे के हिस्से,फिर से रह जाएगा

गाँव से शहर

शहर से गाँव ।

क्यों नही जलाते

हक की एक मशाल

क्यों नही आजमाते

मजदूर एकता को इस बार

ललकार कर तो देखो

दिल्ली को एक बार

मत करो अब

गाँव से शहर

शहर से गाँव । #HamBolenge 
गांव से शहर, शहर से गांव
मेहनत मजदूरी से

कभी नहीं बदलेंगे तुम्हारे हाल

वो अपने बच्चे को देते रहेंगे

तुम्हारे खून से लथपथ जेबरात

तुम्हारे हृदय पर होंगे सिर्फ घाव

तुम्हारे बच्चे के हिस्से,फिर से रह जाएगा

गाँव से शहर

शहर से गाँव ।

क्यों नही जलाते

हक की एक मशाल

क्यों नही आजमाते

मजदूर एकता को इस बार

ललकार कर तो देखो

दिल्ली को एक बार

मत करो अब

गाँव से शहर

शहर से गाँव । #HamBolenge 
गांव से शहर, शहर से गांव

#HamBolenge गांव से शहर, शहर से गांव #कविता