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तेरे इश्क़ का ही सिला हूँ मै! तेरी आग में ही जला हू

तेरे इश्क़ का ही सिला हूँ मै! तेरी आग में ही जला हूँ मै!
दिल जल रहा है सुलग-सुलग, तेरी हिज्र में यूँ बुझा हूँ मै!
नही रोशनी अब सहर में है, शबे हिज्र ही मेरे घर मे है,
क्या आसमाँ से गिला करूँ, अगर हौसला नही पर मे है!
दिले मुज़तरीब से मै क्या कहूँ! कहाँ ख़त लिखूँ, शिक़वा करूँ!
दिल इश्क़ का मुजरिम भी है, दिल अक़्ल का गुनहगार भी!
ख़ुद थामता यादोँ को है, ख़ुद ग़म का है वो शिकार भी!
जिस गुल से महका था दिल मेरा, वही दे गया सौ ख़ार भी!
मेरे अश्क़ से तर हो गया तेरे हुस्न का अंगार भी!
मैं फ़रेब खाता रहा मगर मुझे थी खबर हर बार भी!
तेरे दिल का खौफ भी था अयाँ, तेरे अक़्ल का वो ग़ुबार भी!
तुझे क्या ख़बर अभी इश्क़ की, तू अभी है होशो हवास मे!
तुझे इश्क़ मिलता भी तो क्यों? नही अक़्ल की वो तलाश मे!
 #nojoto #poetry #dilaurtum
तेरे इश्क़ का ही सिला हूँ मै! तेरी आग में ही जला हूँ मै!
दिल जल रहा है सुलग-सुलग, तेरी हिज्र में यूँ बुझा हूँ मै!
नही रोशनी अब सहर में है, शबे हिज्र ही मेरे घर मे है,
क्या आसमाँ से गिला करूँ, अगर हौसला नही पर मे है!
दिले मुज़तरीब से मै क्या कहूँ! कहाँ ख़त लिखूँ, शिक़वा करूँ!
दिल इश्क़ का मुजरिम भी है, दिल अक़्ल का गुनहगार भी!
ख़ुद थामता यादोँ को है, ख़ुद ग़म का है वो शिकार भी!
जिस गुल से महका था दिल मेरा, वही दे गया सौ ख़ार भी!
मेरे अश्क़ से तर हो गया तेरे हुस्न का अंगार भी!
मैं फ़रेब खाता रहा मगर मुझे थी खबर हर बार भी!
तेरे दिल का खौफ भी था अयाँ, तेरे अक़्ल का वो ग़ुबार भी!
तुझे क्या ख़बर अभी इश्क़ की, तू अभी है होशो हवास मे!
तुझे इश्क़ मिलता भी तो क्यों? नही अक़्ल की वो तलाश मे!
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