अर्षों बाद मोहब्बत लिखा, पर मिटा दिया अब स्याही से फिर तुझे दुहराए कौन। यादों के सिरहाने तु मिले तो हॅंस भी लुं, अब हकीकत में फिर दिल लगाए कौन। संभाला है खुद को कई मुद्दतों के बाद, हसरतें पाल फिर से लङखङाए कौन । बदरा के रंग अब सुहाने से लगते हैं, फिर आंसु छिपाने को भिग जाए कौन। माजी़ के बुलावे पर शायद लौट भी जाऊं, पर नहीं, किरदार पुराना फिर से निभाए कौन ॥ -Saurav •_• fir nibhaye kon...