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लहु-लुहान हुआ परा था वो , दुसमनो ने उसे घेरा था ,

लहु-लुहान हुआ परा था वो , 
दुसमनो ने उसे घेरा था ,
अपनो के जीवन में उसके , 
होने वाला घंघोर अंधेरा था |
फरफरा रही थी दिपक की लो ,
माँ के मन में लिया आसंकाओं ने बसेरा था| 
बुझ ना जाये चिराग वंश का ,
पल्लु से दिपक को उसने घेरा था ||

लहु-लुहान हुआ परा था वो , दुसमनो ने उसे घेरा था , अपनो के जीवन में उसके , होने वाला घंघोर अंधेरा था | फरफरा रही थी दिपक की लो , माँ के मन में लिया आसंकाओं ने बसेरा था| बुझ ना जाये चिराग वंश का , पल्लु से दिपक को उसने घेरा था ||

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