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खुदा से एक खूबसूरत गलती हुई गलती से उसने इंसान बन

खुदा से एक खूबसूरत गलती हुई
 गलती से उसने इंसान बना दिया
 बहुत खुश हुआ वो
 अपनी इस गलती पर
 क्या नायाब चीज बनाई है 
चलती फिरती तस्वीर बनाई है 
पर इंसान को अपने 'इंसान' होने का गुरुर आया
 वो खुद को 'खुदा' का 
'खुदा' समझने लगा 
और इस प्रकृति से छेड़छाड़ करने लगा 
उसकी बनाई लगभग हर चीज बदलने लगा 
बस यही गलती इंसान ने कर दी
 और वह आसमान से जमीन पर आ गिरा 
 गिरा तो होश आया 
यह मैं क्या कर रहा हूं?
 मेरे 'मैं' में 'मैं' इतना अंधा हो गया
 इस दुनिया का मालिक मैं खुद को समझ बैठा
 मैं भूल गया था
 याद आया 
मैं तो सिर्फ मुसाफिर हूं 
आज नहीं कल लौट जाना है
 अपने घर, जहां से था मैं आया 
फिर कैसा गुरु जो तेरा है न मेरा है 
यहां तेरा बसेरा है 
ना मेरा बसेरा है
एक दिन उड़ जाना है.....

©Manju Sharma 'kanti'
  गुरुर

गुरुर #कविता

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