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पल्लव की डायरी दूरिया नगर शहरो की हद में आने लगी ह

पल्लव की डायरी
दूरिया नगर शहरो की हद में
आने लगी है
सरपट जिंदगी दौड़ लगाने लगी है
मुसाफिर बन किस्मत आजमाते
रोजगार में प्रयास रेलवे निभाने लगी है
इन पटरियों में दौड़ते सपने हम सब के
आधार जिंदगी के 
रेलवे के सैर सपाटे से 
खुशनुमा नजर आने लगे है
                                     प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #traintrack दुरिया नगर शहरो की नदजीक आने लगी है
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