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हे नारी तुम पर बलिहारी तुम पूजन हो तुम वंदन हो। त

हे नारी तुम पर बलिहारी तुम पूजन हो तुम वंदन हो। 
तुम आदि शक्ति का हो स्वरूप तुम हर मस्तक का चंदन हो।। 
तुम आशा हो अभिलाषा हो तुम प्रेम हो तुम्हीं पिपासा हो।
तुम जननी जग आधार हो तुम हो ज्ञान स्रोत अभिनंदन हो।। 
तुम पूज्यनीय तुम वंदनीय सम्माननीय अभिनंदनीय। 
ममता मयी, बात्सल्य श्रोत जग जननी हो जग अंजन हो।। 
पतझड़ में भी हो बाहर तुम ज्येष्ठ मास में सावन हो।। 
माता भगिनी बेटी वनिता बहु रूप में जग में भारी हो। 
अबला कहलाती हो तुम पर सबला शक्ति संभारी हो।। 
ईश्वर भी जहाँ नतमस्तक हो मातृत्व प्रेम बलिहारी हो। 
नर को भी नारायण कर दे तुम वही शक्ति गुण कारी हो।।
तुम जग उत्पति कर्ता हो जग व्याप्त तुम्हीं जग कारी हो। 
दो शब्द नही है बहुत तुम्हें नारायण की महतारी हो।। 
तुम प्रकृति हो तुम ही प्रवर्ति हो तुम जग की गुरु वाणी हो। 
तुम नारी, मातृ शक्ति हो तुम,दुर्गा,क़ाली, कल्याणी हो।। 
जग का हर रूप समाहित है जग रूप  चमन फुलवारी हो।
जन्मा है जगत नियंता को तुम रूप में सुंदर नारी हो।।

©Aashutosh Aman.
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